KUCH MERI KUCH TERI
- 17 Posts
- 28 Comments
लिए फिर अहमियत और इज्ज़तो-इमदाद लौटा है !
मुहल्ले में सियासत का बड़ा उस्ताद लौटा है !!
बहुत सहमी डरी सी देखती है शाख से बुलबुल !
चहकना बंद है इसका यहाँ सय्याद लौटा है !!
मेरी अस्मत के चिथड़े और तारों तार होने हैं !
जिसे कहते हो मेरा बाप वो जल्लाद लौटा है !!
जो बे परवाही क़िस्मत लिख वहाँ पर भी रही हो तब !
कहाँ कोई शहर से फिर यहाँ आबाद लौटा है !!
बुलंदी हौसले की बाप से दूनी, वही रस्ता !
हिरणकश्यप बहुत आये कभी प्रह्लाद लौटा है !!
Read Comments