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कहानी

KUCH MERI KUCH TERI
KUCH MERI KUCH TERI
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इस शहर में होने पर एक बार याद आ ही जाती है.
तब १६ साल का था और दसवीं में था. मेरा पहले का स्कूल को- एड था लेकिन सिर्फ छठी तक. इसलिए दूसरे स्कूल में पढना पड़ा. ये दूसरा स्कूल सिर्फ लड़कों के लिए था.
मेरा छोटा भाई अब भी पहले वाले स्कूल में ही पढ रहा था. इस साल उसके भी बाहर निकलने की बारी थी.
दो तीन साल कुछ नहीं…
पिछले स्कूल में एक लड़की जिससे दोस्ती थी, पता चला की अभी तक उसी स्कूल में दसवीं में है. उसकी छोटी बहन मेरे भाई के क्लास में पढ़ती थी. एक दिन अचानक से बड़ी बहन से मुझे प्यार हो गया. १६ साल की उम्र में अचानक ऐसा शारीरिक मानसिक अनुभव कैसे और किस कारण हुआ पता नहीं. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. पहली बार हुआ, और बस पक्का प्यार हो गया.
मुझे अपने भाई को स्कूल से लाने के लिए जाना बिलकुल अच्छा नहीं लगता था. अब हर दिन उसे लेने के लिए जाने लगा था.
हर दोपहर स्कूल के गेट पर छुट्टी होने पर उसके बाहर आने का इंतज़ार करने लगा. वो बाहर आकर कहता भइया चलिए, तो चलते हैं न, कह कर उसे एक आइसक्रीम पकड़ा देता. भाई आइसक्रीम खा जाता तो फिर कहता चलिए. मैं इस बार उसे मूंगफली खरीद देता. उसे अटपटा लगता था या नहीं, मज़े बहुत ले रहा था उन दिनों. एक तो मोहल्ले के बच्चों के साथ लाये जाने के लिए तय किये गए रिक्शे में खचाखच भरके आने के बजाए साइकिल की सैर. जो भाई कभी लेने नहीं आता था उसका साथ मिलने पर झगड़ालू दोस्तों पर रौब झाड़ने का मौका. ऊपर से कोई एक चीज़ खा पाने का घर से जो पैसा मिलता था, वो भी बच रहा था और ये, तो वो, तो वो खाना पीना !!! दो तीन दिन बाद उसने चलिए, कहना ही बंद कर दिया था.
दो चार दिन तो लड़की ने पहचानने में ही लगा दिए. अपनी सहेलियों और छोटी बहन के साथ बाहर आती, मैं किसी तरह उसके सामने आने की कोशिश करता, भाई को कुछ दिलाने के दौरान जोर से बोलता की शायद सुन कर हमारी तरफ देखेगी. वो देखती तो भी ऐसे की मुझे लगता नहीं पहचाना. इस बीच छोटी बहन इर्द-गिर्द मंडराती और मेरे भाई को देखकर गाल में गोलगप्पा ठूंसती हुयी मुस्कुराती. भाई भी झेंपता हुआ गुड्पट्टी चबाता. अपनी सहेलियों के साथ कभी कुछ खाने के लिए खरीद कर या कभी ऐसे ही घर के लिए निकल जाती. मुझे लगा कुछ तो और रास्ता निकालना पड़ेगा.
अगले दिन किसी वजह से स्कूल नहीं जा सका.
उस दिन भाई लौटा तो ज़रा शर्माते हुए, छोटी बहन का नाम लेकर याद दिलाते हुए की वो उसके साथ पढ़ती है, मुझसे कहा की,’ उसने मुझसे पुछा की दीदी पूछ रही थीं की तुम्हारे भईया नहीं आये आज?’…
ओ तेरी!.. क्या बताऊँ सुनकर मेरा क्या हाल हुआ…
उस समय के बाद से दुनिया की नज़र से मैं ऐसा गायब हुआ! घर की छत पर सारी शाम गुजरी!इतने ख्याल!!कैसे क्या कहना है!!क्या पूछे जाने पर क्या जवाब देना है!!दिमाग ने उस दिन जितना काम किया था, न उससे पहले किया था न बाद की जिंदगी में किया है!! रात सोने से पहले तक तय कर चुका था कल प्रोपोज कर देना है.
रात में सोने गया तो नींद कहाँ से आये!!
अगले दिन किसी वजह से पिताजी ने जल्दी ही उठा दिया. दिन का समय तो कैसे गुज़रा अब याद नहीं, रात ठीक से सोया नहीं था, ठीक दोपहर के खाने के बाद भयंकर नींद आई और सो गया.
याद है झकझोर के बड़ी बहन ने जगाया था…
भाई को लाने में देर हो रही थी…
और मैं जब उठा था तब खुद को…इतना सा अंग्रेजी में लिखता हूँ, मुझे ज्यादा सटीक लगता रहा है … फाउंड लाइंग ड्रेण्च्ड इन अ थिक पूल ऑफ़ पिस (जैसा की बचपन से आदत थी)…
बदन से बुरी तरह बदबू आ रही थी…
नहाने का समय था नहीं, मैंने तय किया इसी तरह जाऊंगा. एक अजीब सा अहसास हो रहा था, जैसे बदन अन्दर से काँप रहा हो, शायद काँप रहा भी था. बहन ने कुछ अलग महसूस किया होगा, पुछा क्या बात है. याद है हिलते हुए उसका नाम लेकर अंग्रेजी में कहा था, आई एम इन लव विथ हर एंड आई एम गोइंग टू प्रोपोज हर टुडे.
बहन ने मुझे हिलता देख अचानक से गले से लगाया और ख़ुशी ज़ाहिर की कि मुझे प्यार हुआ है.
मैं वैसे ही भागा और स्कूल के गेट पर पहुँच गया. उस दिन बाहर आने में उन लोगों ने कुछ ज्यादा देर की. मैं कोई बहाना बना कर भाई के साथ अन्दर गया तो देखा दोनों बहने आ रही थीं, कोई सहेली साथ नहीं थी. हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए…
फिर क्या?…मुझे जिस तरह कहना आता था कह दिया मैंने घुमा फिरा के… हाँ बार बार देख रहा था मैं की किसी तरह की बदबू तो नहीं पकड़ रही है, नाक वाक पर हाथ तो नहीं रख रही?…फिर क्या हुआ?… क्या होगा… झेंपना शर्माना हुआ… जवाब मिला, ‘सोचेंगे’…
आगे क्या हुआ?… अरे आगे कुछ हुआ होता तो इस शहर में होने पर ये कहानी एक बार याद आती ही रहती क्या?…
हाँ, बाद में एक बात और हुई… छोटी बहन ही मेरे छोटे भाई की पत्नी है.

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